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सिर पर चोटी (शिखा) : वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक अद्भुत अध्ययन

  


 धार्मिक तथा सांस्कृतिक अनुष्ठानों में सिर पर चोटी रखने का अद्वितीय महत्व है। वर्तमान में सिर पर चोटी रखने का अधिकतर बंद सा हो गया है, जो क्रमश: देखने को नहीं मिलता है, युवाओ में चोटी रखने को लेकर एक पुरातन धार्मिक मान्यता ही समझ आता है परन्तु जब इसका वैज्ञानिक महत्व देखा जायेगा तब ज्ञात होगा की वास्तव में पूर्वजो के द्वारा जो भी धार्मिक रीती रिवाज का पालन किया जाता था उसका कही न कही वैज्ञानिक प्रभाव भी होता है।  सिर पर चोटी (शिखा) रखना वैज्ञानिक रूप से भी उल्लेखनीय महत्व रखती है। चोटी रखना एक प्राचीन प्रथा है जो समर्थ, आत्मसाक्षात्कार, और आध्यात्मिकता के संकेत के रूप में सामाजिक और धार्मिक संदेश का हिस्सा बनता है।  लेकिन आप इस मान्यता को गहराई के साथ समझेंगे तब आप जानेंगे कि किस तरह यह वैज्ञानिक रूप से भी सही तरीका है।  

    चलिए विस्तार से इस विषय को समझते है की आखिर क्यों हमारे पूर्वजो ने सिर पर शिखा रखने को इतना महत्व क्यों दिया जाता था।  


सुषुम्ना नाड़ी 

 सुषुम्ना नाड़ी का संतुलन और सकारात्मक प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है, और इसके माध्यम से प्राणिक ऊर्जा का संचार होता है। चोटी रखने से मानसिक संज्ञान, ध्यान और आत्म-जागरूकता में सुधार हो सकता है, जो सुषुम्ना नाड़ी के संतुलन को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, योग और ध्यान प्रक्रियाओं में चोटी रखना उपयोगी हो सकता है जो सुषुम्ना नाड़ी के संतुलन को बढ़ावा देता है और आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने में सहायक हो सकता है।

ब्रह्मांडीय विद्युत-चुंबकीय तरंगें 

विभिन्न धार्मिक परंपराओं में, चोटी रखने को आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने और उसकी स्थिति को संतुलित करने का माध्यम माना जाता है। इस प्रकार, चोटी रखने से व्यक्ति को अंतरिक्षीय या ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संचार होता है, जो उनकी मानसिक और शारीरिक सामर्थ्य को बढ़ा सकता है।

पांच चक्रों

मूलाधार चक्र (चोटी): मूलाधार चक्र स्थिति को बढ़ावा देता है, जो आत्मा के संबंध में स्थायित्व और सुरक्षा को बढ़ावा देता है। स्वाधिष्ठान चक्र (चोटी): स्वाधिष्ठान चक्र स्थिति को संतुलित करता है और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारता है। मणिपुर चक्र (चोटी): मणिपुर चक्र स्थिति को बढ़ावा देता है और आत्म-विश्वास और साहस को मजबूत करता है। अनाहत चक्र (चोटी): अनाहत चक्र स्थिति को सुधारता है और सहज संबंधों, भावनाओं, और दया के अभ्यास को बढ़ावा देता है। विशुद्ध चक्र (चोटी): विशुद्ध चक्र स्थिति को पवित्र और उच्च अवस्था में ले जाता है और आत्मा के ऊर्जा संचार को सुधारता है।     यह प्राचीन धारणा है कि चोटी रखने से ये पांच चक्रों को संतुलित और सक्रिय रखने में मदद मिलती है, जो आत्मा के साथ संबंधित होते हैं। इसके अलावा, ध्यान और मेधाता में भी सुधार हो सकती है।

बौद्धिक क्षमता

यह चोटी रखने से मस्तिष्क का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे ध्यान और स्मृति में सुधार होता है।
ध्यान और स्मृति में सुधार: यह चोटी रखने से मस्तिष्क का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे ध्यान और स्मृति में सुधार होता है।
आत्म-समर्पण की स्थिति: चोटी रखने से सिर का समर्पण का अहसास मजबूत होता है, जो मानसिक और आत्मिक स्थिति को सुधारता है।
आत्म-उत्साह और सकारात्मकता: यह धारणा बढ़ावा देती है कि चोटी रखने से आत्मा की ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को आत्म-उत्साह और सकारात्मकता में बढ़ावा देता है।

चोटी धारण करने के कुछ नियमों को ध्यान में रखना उपयुक्त होता है। ये नियम निम्नलिखित हो सकते हैं: शुद्धता का ध्यान: चोटी रखते समय अपने बालों को धोकर और शुद्ध करें। ध्यानावस्था में रहें: चोटी धारण करते समय, मानसिक स्थिति को शांत और स्थिर रखने का प्रयास करें। आध्यात्मिक संवेदनशीलता: यदि संभव हो, चोटी धारण करने से पहले आध्यात्मिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए ध्यान या ध्यानाभ्यास करें। स्थिति और मुद्रा: ध्यान या आध्यात्मिक अभ्यास करते समय सम्मुख, ध्यान की मुद्रा बनाएं और ध्यान के समय संतुलित बैठें। नियमितता: चोटी धारण को नियमित रूप से करें, अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए। अवधि: आराम से धारण की जाने वाली अवधि को तय करें, जैसे कुछ मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे बढ़ाएं। उचित ज्ञान: चोटी धारण के लिए उचित ज्ञान प्राप्त करें और योगाचार्य या ध्यान गुरु के मार्गदर्शन में रहें।     
    ये नियम चोटी धारण के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन आपको सभी नियमों को सख्ती से पालन करने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने स्वयं के अनुभव और आराम के अनुसार इन नियमों को अनुकूलित कर सकते हैं।

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