TIN (Tax Information Network) नंबर एक यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है जिसका उपयोग भारत में टैक्स से सबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है और वैट कानून के तहत किसी डीलर की पहचान के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है टिन नंबर हमेशा 11 अंको का होता है ।
सरकार के द्वारा वस्तुओं के क्रय.विक्रय पर वैट या सेल्स टैक्स लगाया जाता है जिस हेतु टिन नंबर की आवश्यकता होती है। ज्यादातर राज्यों में 5 से 10 लाख तक की सालाना आय वाले वाले व्यापारियों पर वैट नहीं लगाया जाता है परन्तु सामान्यतः टिन नंबर तभी आवश्यक होता है जब विक्रय की छूट सीमा ज्यादा हो । साथ ही यह उस राज्य पर भी निर्भर करता है कि वहां पर अधिकतम कितनी वार्षिक आय के बाद वैट लगाया जाता है। कभी.कभी व्यापार के दौरान माल खरीदने पर आपको विक्रेता को भी टिन नंबर देना होता है।
टिन नंबर बनवाने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है । जब ये दस्तावेज जमा हो जाते हैं उसके बाद ही टिन नंबर के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन भी अप्लाई किया जा सकता है। इसके बाबत्
पहचान पत्र
निवास प्रमाण पत्र
बिजनेस प्रूफ आईडी
पैन कार्ड
पासपोर्ट साइज फोटो
रिफ्रेंस ऑफ सेक्योरिटी
टिन नंबर के लिए ज्यादातर ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। इसके लिए आप राज्य सरकार के कमर्शियल टैक्स विभाग या सेल्स टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जाकर अपने व्यापार से संबंधित जानकारी भरकर आवेदन कर सकते हैं।
सामान्य रुप से टिन नंबर के रजिस्ट्रेशन के लिए कोई चार्जेज नहीं लगते हैं यह प्रक्रिया फ्री में होती है। लेकिन कुछ राज्यों जैसे कि महाराष्ट्र सेल्स टैक्स रजिस्ट्रेशन के समय सरकार को कुछ सेक्योरिटी डिपॉजिट भी देने का नियम है।
जीएसटी लागू हो जाने के बाद से वैटए सर्विस टैक्स जैसे अप्रत्यक्ष कर में केवल जीएसटी ही लगेगा। इसलिए GST लागू हो जाने के बाद से टिन नंबर के जगह केवल जीएसटी नंबर या रजिस्ट्रेशन की ही जरुरत पड़ेगी। साथ ही वर्तमान के टिन नंबर लोगों के जीएसटी में ट्रांसफर करके जीएसटी नंबर जारी कर दिए जाएंगे।
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