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भगवान श्रीकृष्ण का समूचे वंश नाश होने को श्राप SHRI KRISHNA



भगवान श्रीकृष्ण का समूचे वंश नाश होने को श्राप 

महाभारत के युद्ध में गंधारी जो अपने सौ पुत्रों को खो चुकी थी, उसे अपने पुत्रों के विनाश का कारण पांडवों के साथ भगवान श्रीकृष्ण भी लग रहे थे, गांधारी अत्यंतदुःखी होने के साथ अत्यंत क्रोधित और व्यथित भी थी, जिसके आवेश में आकर उसने भगवान श्रीकृष्ण को उनके कुल और वंश का नाश होने का श्राप दे दिया इस श्राप ने यदुवंशियों का नाश कर दिया, इसका विस्तृत विवरण महाभारत के 18 पर्वों में से एक मौसल्य पर्व में है। 



                   

इसके साथ ही साथ एक और कहानी है, जिसमें भगवान कृष्ण पुत्र साम्ब अपने मित्रों के साथ महर्षि विश्वामित्र कण्व और देवर्षि नारद की परीक्षा लेने के लिए एक गर्भवती स्त्री बन अपने मित्रों के साथ ऋषियों के समक्ष उपस्थित हो गए और उन्होनें ऋषियों के ज्ञान की परीक्षा लेने को पुछा महाज्ञानी साधु  हम यह जानने के लिए आपके समक्ष आये है, कि इस गर्भवती स्त्री को पुत्र होगा या पुत्री, ऋषि सर्वज्ञानी थे और उन्हे उनकी मंशा समेत यह ज्ञात था कि गर्भवती के रूप में छुपा यह भगवान श्री कृष्ण का पुत्र साम्ब है,  उनकी मंशा से ऋषि अत्यंत क्रोधित थे व भगवान श्री कृश्ण के पुत्र साम्ब को  यह श्राप दिया कि तुमसे एक भयंकर मूसल उत्पन्न होगा जो तुम्हारे कुल के विनाश का कारण बनेगा श्राप के कारण साम्ब के पेट से एक लोहे की मूसल ने जन्म लिया, जिससे भयभीत होकर साम्ब और उसके मित्रों ने उस मूसल को टुकड़े टुकड़े करके जमीन में दबा दिया परन्तु एक टुकड़ा नदी में गिर गया जिससे जमीन में दबे मूसल कुछ दिनों बाद भूमि से मादक पौधे उगने लगे, जिसे खाकर मनुष्य अपने होश खो बैठता था व नदी में गिरे  हुए टुकड़े को एक मछली ने निगल लिया, उस मछली को एक मछवारे में पकड लिया व उसको बेचने के लिए काटा जिसमें लोहे का एक टुकडा मिला, जिसे उसने एक बहेलिए को बेच दिया, बहेलिए ने उस लोहे के टुकडे का उपयोग अपनी तीर की धार के लिए किया और एक दिन श्रीकृष्ण जंगल में एकांत स्थान पर विश्राम कर रहे थे कि वो बहेलिया जंगल में शिकार करने के उद्देश्य से पहुंच चरण को हिरण के कान समझ बिना कुछ सोचे. समझे तीर चला दिया, तीर लगते ही श्रीकृष्ण के शरीर में विष फैल गया, जब बहेलिए को ज्ञात हुआ कि उसने भगवान श्री कृष्ण को तीर मार दिया है तो उसने अपने इस पाप के लिए माधव से क्षमा मांगी परंतु भगवान श्री कृष्ण उससे कहा कि तुम पिछले जन्म में राजा बालि थे, जिस पर मैंने राम अवतार में पीछे से तीर से वार किया था, और भगवान श्री कृश्ण ने मुनश्य देह त्याग बैंकुठ गमन किया और  द्वारिका नगरी जलमग्न होगई व धीरे.धीरे धरती पर पाप बढ़ गया और द्वापर युग की समाप्ति हो कलियुग का आगमन हो गया  

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