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दूरबीन का आविष्कार

             दूरबीन बहुत काम की चीज है। इससे देखने पर आसमान के छोटे तारे भी बड़े और बेहद नजदीक नजर आते हैं। खगोलशास्त्री, नाविक, मछलियां पकडऩे वालों और सैना के लिए यह बहुत ही उपयोगी उपकरण है। वर्ष 1608 में पहली बार दूरबीन बनाने वाले हेंस लिपरशी को फादर ऑफ टेलिस्कोप भी कहा जाता है। उनका बेटा अ€सर कांच के रंग-बिरंगे टुकड़ों के साथ खेलता था। एक दिन वह पिता के साथ दुकान पर था, खेल-खेल में बेटे ने कांच उठाकर आर-पार देखना शुरू किया। कभी अलग-अलग और कभी सबको साथ मिलाकर देखना शुरू किया। तब उसने देखा कि सामने गिरजाघर की मीनार है, एकदम से पास आ गई है। उसको लगा कोई भ्रम है। फिर से देखा तो फिर से वही नजारा दिखा। उसने चिल्लाकर यह बात पिता को बताई तो हेंस ने उसके हाथ से दोनों कांच के टुकड़े ले लिए और मीनार को देखने की कोशिश की। उनको भी मीनार पास दिखाई देने लगी। कई बार ऐसा करके देखा। फिर उनको कांच का यह विज्ञान समझ आ गया। हेंस खुशी से झूम उठे। उन्होंने बच्चे को गोद में उठाते हुए कहा कि तुमने एक नई खोज की है, हेंस ने उसे समझाया कि तुमने दूर की चीज को पास  दिखाने वाली तरकीब खोज दी है। अब हम एक यंत्र बनाएंगे। इससे हमारा खूब नाम होगा। हेंस ने वैसे ही कांच को लगाकर एक दूरबीन बनाई जो दुनिया की पहली दूरबीन थी। इसी दूरबीन के आधार पर गैलिलियो ने बड़ी दूरबीन बनाई। इस तरह दुनिया की पहली दूरबीन का आविष्कार हुआ।

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