आपने असर देखा होगा कि जानवर घास.फूस, पेड़ों की पत्तियां आदिे जल्दी.जल्दी खा लेते हैं और इसके बाद आराम से बैठकर जुगाली करते रहते हैं। या आपने कभी सोचा है, पशु जुगाली क्यों करते हैं।
आइए समझते हैं, इनकी जुगाली की मुख्य वजह क्या है-
दरअसल गाय, भेड़, बकरी आदि के ऊपर के जबड़े में दांत नहीं होते हैं, लेकिन इनके मसूड़े बहुत सख्त होते हैं। नीचे वाले दांतों और ऊपर के जबड़े से ही जानवर अपने भोजन को मुंह में ले जाते हैं। भोजन खाने के बाद पशु खाए हुए भोजन को आराम से पेट से दोबारा मुंह में लाते हैं और उसे अच्छी तरह से चबाते हैं। भोजन चबाने की इसी क्रिया को जुगाली कहा जाता है। चबाए हुए भोजन को ये जानवर फिर पेट में ले जाते हैं। वहां यह बहुत आसानी से पच जाता है। पशुओं में जुगाली करने की आदत कैसे विकसित हुई, यह भी रोचक है। मानव के इन पशुओं को खेती इबाड़ी और अन्य कामों के लिएपालतु बनाने से पहले ये जंगलों और मैदानों में विचरते थे। जंगल में शेरए चीता और मांस भक्षणकरने वाले दूसरे जानवर भी अपने भोजन की तलाश में घूमते रहते थे। इन भयानक जानवरों से खुद को बचाने के लिए ही ये जानवर घासऔर पेड़ों की पत्तियों को जल्दी.जल्दी निगल कर किसी सुरक्षित स्थान की ओर भाग जाते थे। वहां पहुंचकर निश्चिंत हो जल्दी.जल्दी निगले हुए भोजन को जुगाली करके पचाते थे। इस प्रकार इन जानवरों में जुगाली की आदत विकसित होती गई। इन पशुओं के पेट की बनावट बड़ी जटिल होती है। इनका पेट चार भागों में बंटा होता है। पहले भाग को पाऊच दूसरे को रेटीकुलम या हनीकॉम बैग तीसरे को ओमासम या मेनीह्रश्वलाइज और चौथे भाग को एबोमासम या टू.स्टमक कहा जाता है। इनमें से केवल ऊंट ही ऐसा जानवर हैए जिसके पेट में इनमें से तीसरा भाग नहीं होता। निगला हुआ भोजन सबसे पहले पेट के पाउच में पहुंचता है। यह हिस्सा दूसरे भाग की अपेक्षा बड़ा होता है। यहां पहुंचकर निगला हुआ भोजन पेट में स्रावित एंजाइमों से मुलायम हो जाता है। इसके बाद भोजन यहां से पेट के दूसरे हिस्से में पहुंचता है। इस हिस्से में भोजन जुगाली करने लायक हो जाता है। इसके बाद जानवर अपने खाए हुए भोजन को मुंह में लाकर काफी देर तक चबाते रहते हैं। जुगाली की क्रिया पूरी होने के उपरांत भोजन पेट के तीसरे भाग में
पहुंच जाता है। पेट के तीसरे हिस्से में इसमें कुछ और पाचक रस मिल जाते हैं और अंत में यह भोजन पेट की मांसपेशियों के माध्यम से पचने के लिए आमाशय में भेज दिया जाता है। इस तरह भोजन के पचने की क्रिया पूरी हो जाती है।
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