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ब्रिटिश हुकूमत का इतिहास BRITISH INDIA

         जिस ब्रिटिश हुकूमत ने देश को सैकड़ों साल तक गुलाम बनाए रखा,कारोबार के बहाने उसे देश में घुसने का रास्ता सूरत ने दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाजी बेड़ा हेक्टर वर्ष 1608 में 24 अगस्त को कैप्टन हॉकिन्स के नेतृत्व में सूरत के तट पर पहुंचा था। बाद में यह तारीख इतिहास में दर्ज हो गई, जिसने हिंदुस्तान का इतिहास ही नहीं, भूगोल भी बदल दिया। 1874 में ब्रिटिश हुकूमत ने कंपनी को बंद कर औपचारिक रूप से देश का शासन अपने हाथ में ले लिया था। मुगल शासक जहांगीर के शासनकाल में हेक्टर  भारत पहुंचा था। इससे पहले पुर्तगालियों और डच व्यापारियों का भी देश से कारोबारी नाता बन गया था। तब सूरत के तट से दुनियाभर के 84 शहरों से कारोबार होता था। ये कारोबारी मूलरूप से काली मिर्च और अन्य मसालों व मलकल के कपड़े के आकर्षण में सूरत आए थे। 

सूरत में लगाई थी फैक्ट्री : ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1646 तक भारत के समुद्र तटीय शहरों में अलग- लग सामान बनाने के लिए 23 फैक्ट्रियां लगाई थीं। इन फैक्ट्रियां में भारत से ही कच्चा माल लेकर उत्पाद तैयार होते थे। 1689 में सूरत की फ़ैक्ट्री का दौरा करने वाले अंग्रेज पादरी जॉन ओविंगटन ने अपने संस्मरण में  हां की कैंटीन के खाने की तारीफ की थी।  


पहले भी कर चुके थे व्यापार की कोशिश अंग्रेज इससे पहले भी भारत से  पार करने की कोशिशें कर चुके थे। यहां पहले से कारोबार कर रहे पुर्तगालियों और डच व्यापारियों की वजह से अंग्रेजों की शुरुआती कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाईं। बाद में अंग्रेजों ने ब्रिटिश हुकूमत के संरक्षण में एक बार फिर भारत में पैर जमाने की कवायद की और कामयाब हो गए। कंपनी के विस्तार के लिए तत्कालीन मुगल शासक जहांगीर को मनाने में ईस्ट इंडिया कंपनी को करीब बीस साल लगे थे। 

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